सोमवार, 18 अप्रैल 2016

कविता --- सूरज

सूरज बच्चों के मन को भाते l
तम - अन्धेरा हरदम मिटाते ll

सूरज जग उजियारे फैलाते l
पक्षी गीत -गान गुन गुनाते ll

सूरज सुबह सुबह आ जाते l
अपना रोजना काम निभाते ll

पाप भ्रम तम हर ओर मिटाते l
तम अंधकार की चादर हटातेll

रवि और समीर का मेल बढाते l
विवेक ज्योति की दीप जलाते ll
                   - विवेक वर्मा 

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