सोमवार, 18 अप्रैल 2016

कविता --- माँ

सबसे प्रथम गुरू होती है माता
जग मे सबसे बड़ा माँ से नाता l

माता होती है भगवान स्वरूप
जैसे शरद ऋतु मे प्यारी धूप l

माँ ने हमे इस दुनिया मे लाई
हाथ पकड़ के दुनिया दिखाई l

जब कभी चोट  मुझे लग जाये
माँ की आँख पहले ही भर आये l

मुँह का एक एक निवाला दे देती
मुझे खिला  खुद भूखी रह लेती l

मेरे हर एक शौक करती पूरे
रह गये  उसके शौक अधूरे l

ज्यादा होता रिश्ता नौ महीने का
आधार होती है माँ जीवन पाने का
                                  ---    विवेक वर्मा 

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