देखो मिट्टी के ये दीप जल रहे l
उजियारे के मीठे फूल खिल रहे ll
उजियारे के मीठे फूल खिल रहे ll
घर आँगन मे टिम टिम जलता l
आँधी तूफ़ानो मे खूब संभलता ll
आँधी तूफ़ानो मे खूब संभलता ll
फिर आँगन मे कतार से सजता l
इनके जलने से प्रकाश फैलता ll
इनके जलने से प्रकाश फैलता ll
सुख प्रेम ज्ञान की अलख जगाता l
करता प्रकाश और मन को भाता ll
करता प्रकाश और मन को भाता ll
दीप पर्व बच्चों के मन को भाता l
बुझ गई दीप फिर क्या रह जाता ll
'
-विवेक वर्मा
बुझ गई दीप फिर क्या रह जाता ll
'
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